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मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई जाने ! क्या है रहस्य

मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई

दोस्तों आप के मन में ये प्रश्न कई बार पैदा हुआ होगा की आखिर इस धरती पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई या कहे तो धरती में “मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई”।आखिर  धरती पर पहले पुरुष या स्त्री कोन रहे होंगे।और हुई तो कब और कैसे हुई। इस धरती पर जीवन की उत्पति एक गहरा रहस्य है पर अलग -अलग समय पर अलग अलग लोगो धर्मो और संस्थाओ ने अनेक प्रयोगों के द्वारा अनेक मत सामने रखे तो चलिए जानते है की आखिर धरती पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई।

यदि धरती पर जीवन की बात करे तो पहले ये जाने की स्वयं धरती की उम्र 4.6 अरब वर्ष है। और प्रमाण बताते है की धरती पर जीवन 4 अरब वर्ष पूर्व उत्पन्न हुआ था।

धर्म क्या कहता है

दरअसल जितने भी धर्म है हर धर्म जीवन की उत्पत्ति पर अपना एक मत देता है और सभी धर्मो के मतों को देखा जाये तो धरती और धरती पर जीवन को उनके धर्मो के ईश्वर ने बनाया है

जैसे हिन्दू धर्म में कुछ जगहों पर ये बताया गया है की धरती पर जीवन माता वैष्णवी ने बनाया है जब ब्रम्हांड पर कुछ नहीं था तब माता वैष्णवी थी ।

शिव पुराण में तो भगवन शिव को अनादि बताया गया है कहा ये भी गया है की शिव तब से है जब ये ब्रम्हाण भी नहीं था और उन्ही से जीवन के बीज धरती पर पड़े।

वही मनु स्म्रति में ये बताया गया है की मनु ही आदि पुरुष यानि धरती के प्रथम पुरुष थे और उन्ही से जीवन की उत्पत्ति हुई।

 वही 1548 B.C. यानि आज से 3500 साल पहले स्पेन के एक पादरी फादर सुरेज ने दावा किया की विश्व की उत्पत्ति ईस्वर ने की है उन्होंने ये भी दावा किया की ये काम उन्होंने 6 दिनों में किया था।पर कौन से ईस्वर इसका कोई प्रमाण न दे सके।

मनु स्मृति में है वर्णन

 दोस्तों ये सारे दावे जो किये गए है इनका कोइ वैज्ञानिक आधार नहीं है कुछ तो अतिसंयोक्ति भी लगते है जैसे यदि मनु स्म्रति को सच माने तो मनु एक इंसान थे तो इंसान की उत्पत्ति तो मनु से हो सकती है पर पेड़ पोधे और बाकि जीव जन्तुओ का क्या । क्योकि उस समय मनु के अलावा सब निर्जीव अवस्था में ही था।

यानि इन सारे मतों का तर्क मजबूत नहीं है न ही ये मजबूत प्रमाण देते है।

वैज्ञानिक तथ्य और प्रमाण

 इन सारे दावो के बाद एक नई बात सामने आने लगी जिस पर ये कहा गया की जो जीवित है उनकी उत्पत्ति अजीवित चीजो से हुई है।

और इसे स्वतः जननवाद कहा गया  जिसका अर्थ यह है की जीवन की उत्पत्ति स्वयं ही अजीवित चीजो से हुई है।

इस मत को लोगो ने लंबे समय तक मना लेकिन यदि आप स्वयं भी इसके बारे में सोचे तो ये बात आप को भी आजीव लगेगी  इस मत या सिद्धान्त पर ये भी दावा किया गया की कीचड़ के ऊपर सूर्य का प्रकाश पड़ने पर मेढक ,मनुष्य के पसीने से चूहे ,सड़ी गली चीज़ों से मक्खियों की उत्पत्ति हुई ।

पर प्रश्न तो वही का वही रहा क्योकि यदि मनुष्य के पसीने से चूहे पैदा होते है तो अभी भी ये प्रश्न सामने आता है की मनुष्य कहा से आया।

और एक बात जो सबसे ज्यादा परेशान करने वाली है  वो ये की यदि ऐसा होता है तो आज ऐसा क्यों नहीं हो रहा है।

 आप के अंदर भी ये सवाल जरूर आया होगा इस पर इस सिद्धान्त को मानाने वालो ने एक प्रयोग किया और एक मांस के टुकड़े को खुला रख दिया कुछ टाइम बाद उस कर लार्वा पैदा हो गए।

  मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई : –

और लगा की शायद ये सही बात है की निर्जीव चीजो से ही  जीवित पैदा हुआ है।

पर इसके बाद एक प्रयोग ने सारे मत को गलत सिद्ध कर दिया। दरअसल इस प्रयोग में मांस के दो टुकड़े लिए गए एक को खुला तथा दूसरे को एकदम सीलबंद रखा  गया इस तरह की हवा भी न पहुच सके ।

देखा ये गया की खुले पर रखे टुकड़े पर लार्वा है और सीलबंद पर नहीं कारन ये था की खुले टुकड़े पर मखियाँ आकर बैठी और उस पर अंडे दी और अन्डो से लार्वा पैदा हो गए जबकि सीलबंद टुकड़े तक मखियाँ पहुच ही नहीं पायी।

और यही कारण तो है की हमारे पैकिट में सीलबंद चिप्स आचार जूस आदि सालो तक ख़राब नहीं होते है।

इसके बाद ये बात तो साफ हो गयी की जीवित की उत्पत्ति केवल जीवित से ही हो सकती है।पर प्रश्न फिर वही की आखिर सबसे पहले जीवन उत्पन्न कैसे हुआ।इसके बाद अब जो मत या सिद्धान्त में बताने जा रहा हु उसने इस रहस्य से पर्दा उठा दिया की

क्या है रहस्य – मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई

 उस सिद्धान्त को बताने से पहले एक सिद्धान्त के बारे में और बताता हु इस पर ये कहा गया की जीवन की उत्पत्ति किसी दूसरे गृह पर हुई है और जीवन वह से यहाँ आया है इसे आरहिनीयस ने बताया था उन्होंने ये बात तो मानी की जीवित से ही जीवित उत्पन्न होते है पर वो ये न बता सके की यदि जीवन की उत्पत्ति किसी अन्य ग्रह् में हुई है तो वो वहा कैसे उत्पन्न हुआ होगा।
 इसके बाद एक नया मत आया जिस ने इस रहस्य को सुलझा दिया । इसके बारे में ओपेरिन ने बताया था।

पर इस सिद्धान्त को समझने से पहले कुछ चीजे आप को जान लेना जरुरी है

की जो हमारा शरीर है कोशिकाओ का बना होता है छोटी छोटी लाखो करोडो कोशिका मिलकर ये शरीर का निर्माण करती है। यानि जीवन की इकाई कोशिका है

अब ये जो कोशिका होती है वो प्रोटीन कार्बोहायड्रेट बसा की बनी होती है और ये तीनो नाइट्रोजन , हाइड्रोजन , कार्बन  आदि से बने होते है।  तो आप समझ ही गए होंगे की जीवन का मूल ये तीनो चीजे ही है।

तब रहस्य क्या है।

 दरअसल जीवन की उत्पत्ति आज से करोडो साल पहले समुद्र में हुई ।उस समय धरती का ज्यादातर भाग पानी से ही डूबा हुआ था तो जो नाइट्रोजन हाइड्रोजन कार्बन पानी पर उपस्थित थे उन पर सूर्य की पराबैगनी किरणे पड़ी  जिससे से सारे तत्व चार्ज होने लगे और सूर्य की ऊर्जा का उपयोग कर इन पर संघनन की क्रिया हुई और ये संगठित होने लगे ।
“मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई”

इसका मतलब ये की ये आपस में जुड़ने लगे N C से CH से और काम्प्लेक्स बनाना प्रारम्भ हो गए।

यानि की ये DNA  और  RNA के  जैसे कुछ रासायनिक पदार्थ बने होंगे क्योकि DNA और RNA ये दोनों भी मूल रूप से N,H,C के ही बने होते है।

और इन रासायनिक पदार्थो से कोएसर्वेट्स नमक संरचना बनी । धीरे धीरे इन पर जीवन के सामान गुण पैदा हो गए। यदि इस प्रारंभिक संरचना को देखे तो ये विषाणु से मिलती जुलती संरचना थी  यानि ये तो माना जा सकता है की हा ऐसी संरचना बनी होगी।

फिर धीरे धीरे  इस प्रारंभिक संरचना ने वातावरण अनुकूल होने के कारण अपना विकास करना शुरू कर दिया फिर इस में से दो तरह की कोशिकाओ का विकास हुआ पहली वो जो प्रकाश संश्लेषण कर सकती थी और दूसरी वो जो नहीं कर सकती थी।

इस तरह पहली कोशिकाओ से पादप यानि पेड़ पौधे और दूसरी से जन्तु जगत का निर्माण हुआ।पर आप सभी के जैसे मेरे मन में भी यही प्रश्न आया की यदि ऐसा पहले हुआ तो आज क्यों नहीं होता ।

मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई

इसके मुझे दो उत्तर मिले पहला ये की उस समय धरती पर ओजोन परत के न होने के कारण पराबैगनी किरणे धरती पर सीधे आती थी और दूसरी ये की उस समय धरती बहुत गर्म थी जो आज नहीं थी ।तो मन में ये सवाल दुबारा आता है की यदि वही करोडो साल पहले जैसे वातावरण पैदा कर दिया जाये तो क्या फिर से वैसी ही DNA जैसी संरचना बन सकती है।

 ये सवाल 1953 में मिलर नाम के व्यक्ति के मन में भी आया तो इन्होंने प्रयोग शाला में एक मशीन तैयार की जिस के अंदर वैसा ही कृतिम बातावरण तैयार किया जा सकता था और जब मिलर ने प्रयोग किया तो पाया की वैसे ही DNA के जैसे संरचनाये बन रही थी।

इस प्रयोग ने सभी के मन के भ्रम का अंत कर दिया। और इस रहस्य से पर्दा उठ गया की जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई।

 अब कुछ लोग मुझ से ये पूछते है की चलो ये बात तो समझ में आती है की जीवन ऐसे शुरू हुआ पर धरती पर पहला आदमी या स्त्री कौन रहे होंगे या वो कोशिका एक इंसान कैसे बनी ।

तो में ये कहूँगा की ये पूरी जैवविकास की कहानी है जिसमे पुरे 400000000000 साल का समय लगा है

मै अपने अगले आर्टिकल में इसे विस्तार से बताऊंगा ।

तो उम्मीद करता हु की आप समझ चुके होंगे की मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई

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